आश्रम 3 पार्ट 2: क्या खुलेगा राज़, या गहराएगा अंधविश्वास का जाल? : बॉलीवुड में बनने वाली सबसे कंट्रोवर्शियल सीरीज है आश्रम, जिसमें हर इंसान उसे चेहरे को ढूंढ सकता है जिसे वह ढूंढना चाहता है। रियल लाइफ इंसिडेंट से उठाया और उसे सिनेमा के शक्ल में बदल दिया। कुछ लोगों को गुस्सा आया तो कुछ लोगों को सुकून मिला। फाइनली, किसी ने सच तो दिखाया, लेकिन शायद सुनने पर भरोसा ना हो। आपके पूरे 4 साल बीत चुके हैं, आज और आश्रम की कहानी अभी तक खत्म नहीं हो पाई है। इतना भी रियल नहीं होना था यार, यह तो आपने जो मांगा, वह मिल गया है। एक एंडिंग, जिसकी शुरुआत हुई है आश्रम सीजन 3 के पार्ट 2 में। टोटल पांच एपिसोड हैं जो 3:45 घंटे में खत्म हो जाएंगे।
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क्या बदलने वाला है इस सीजन में?
अच्छी बात यह है कि इस बार बाबा निराला की कहानी को बीच में छोड़कर सीजन 4 का इंतजार नहीं करना है। इस 5 एपिसोड के बाद आपको आखिरकार एक क्लाइमैक्स मिल जाएगा। बेस्ट चीज यह है कि सो को देखने के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं करना है, टोटली फ्री देख सकते हो इसको अमेजॉन प्राइम पर। वैसे तो याद दिलाने की जरूरत नहीं है, लेकिन 18 साल से कम वाले लोगों को शो का कंटेंट सूट नहीं करेगा। इस बार बाबा का बाबई कम, इधर-उधर की चीजें ज्यादा डाली हैं। आप मानोगे, चार-चार घंटे के शो में कम से कम नहीं तो ढाई घंटे का एडल्ट कंटेंट होगा। सेंसर बोर्ड की नींद उड़ जाएगी।
आश्रम का फॉर्मूला: विवाद, ड्रामा और ट्विस्ट!
इस सीरीज का नाम सुनकर वैसे भी पस्त में दो चेहरे से काफी वायरल हो चुके हैं। बस उसे कड़ी में अब तीसरा नाम जोड़ने का वक्त आ गया है। एनिमल में जो काम बॉबी देओल खुले आम कर रहे थे, बस उसको ही रिपीट किया है। लेकिन इस बार थोड़ा रंगीन तरीके से खून खराबा काम सिर्फ दिमाग में है, दम। एक कॉन्ट्रोवर्सी सिनेमा खत्म नहीं हो पाई, लगता है ये लोग दूसरी शुरू करवा देंगे। भैया, आश्रम के साथ-साथ कहीं ओटीटी पर ताले मत पड़वा देना। और गलती से भी फैमिली के साथ बैठ देखना मत, बैठ जाना। क्योंकि टॉपिक फैमिली वाला लगता जरूर है, लेकिन अंदर एक भी सीन फैमिली वाला नहीं है।
कहानी का ट्विस्ट और फ्लैशबैक!
क्या चल रहा है शो में? फटाफट शॉर्ट में बताती हूं। कठपुतली का खेल देखा है? नाचते हुए पुतले जिनकी डोर पहन के पीछे किसी और के हाथ में होती है। इस बार परदे के पीछे है बाबा जी के हाथ, जिनके हाथों में एक तरफ सरकार नाच रही है, तो दूसरी तरफ जनता। लेकिन कहानी तब बदलती है जब बाबा जी को नाचने वाला कोई इस आश्रम में एंट्री मारता है। या फिर, फिर बोलूं मरती है।
एक नई सवारी और पुराने खेल!
एक चुटकुला सुना होगा आपने, हाथी और चींटी वाला। कैसे एक छोटी सी चींटी अपनी भी आ जाए तो हाथी के सन में घुस के उसके जमीन पर पटक सकती है। हाथी कौन, चींटी कौन, आप समझ गए होंगे। वैसे इस जानवरों के परिवार में एक कुत्ता भी है जो मालिक से वफादार तो है, लेकिन शिकार करना भूल नहीं है।
भूतकाल, वर्तमान और अंत में एक क्लाइमैक्स!
इस बार आश्रम को बाकी सारे पिछली एपिसोड से अलग बनाता है फ्लैशबैक स्टोरी। मनी बाबा निराला को तो बस सब जानते हैं पहले से, लेकिन यह बाबा बाबा बन कैसे? इस बार शो में इसका जवाब दिखाया गया है। बस वो एक रीजन है जिसकी वजह से आश्रम को देखने की सबसे बड़ी वजह मिल जाती है। इस सीजन में भूतकाल, वर्तमान है और फाइनली एक एंडिंग, जो इस शो का भविष्य दिखाई है।
फोकस अब बाकी कैरेक्टर्स पर!
बॉबी देओल का लुक तो गजब का बनाया, लेकिन वह कुछ ज्यादा करते नहीं हैं। सिर्फ मुंह से डायलॉग बोलते हैं और चले जाते हैं। पूरा फोकस इस बार चंदन राय पर है, जिनका करेक्टर देखकर आप डिसाइड नहीं कर पाओगे, यह हीरो है या फिर विलन। सारी हदें पार कर दी कमल का परफॉर्मेंस दिया है। फीमेल एक्ट्रेसेस भी खूब सारे हैं, लेकिन इनको जिनका स्मार्ट और स्ट्रांग बताया जाता है, वह उन्हें उल्टा उतना ही चालू, थोड़े से वल्गर और धोखेबाज फूल होते हैं।
टाइम पास के लिए सही, लेकिन कुछ ज्यादा उम्मीद ना रखें!
सिंपल सी बात है, कुछ टाइम पास करना है, ज्यादा दिमाग नहीं चलाना है, तो आश्रम देख सकते हो, बट अपने रिस्क पर। अकेले ही देखना, परिवार वालों के साथ मत देखना।
रेटिंग: पांच में से दो स्टार मिलेंगे। एक तो पस्त वाली मजेदार कहानी और दूसरा डीजे बॉबी प्लस भोपा भाऊ के फेस-ऑफ के लिए। नेगेटिव बहुत प्रेडिक्टेबल कहानी, और दूसरा स्पीड ब्रेकर जैसे एडल्ट सीन।
शो फ्री जरूर है, लेकिन 4 घंटे ले जाएगा। बाकी आप खुद समझदार हो, कौन सी चीज देखनी है, कौन सी नहीं। फैसला कर लो!
टेक केयर, बाय-बाय।
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