Tumko Meri Kasam

Tumko Meri Kasam Review: दमदार कहानी, लेकिन कमजोर कड़ी बने अनुपम खेर और इश्वाक सिंह

विशेष फिल्म्स का अब महेश भट्ट से सीधा कोई संबंध नहीं है, लेकिन जब वे अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ मिलकर फिल्में बनाते थे, तब भी उन्होंने एशा देओल के ‘टैलेंट’ को खास तवज्जो दी थी। विक्रम भट्ट ने एशा के साथ लगभग 20 साल पहले ‘अनकही’ बनाई थी, और अदा शर्मा के साथ ‘1920’ जैसी हॉरर फिल्म भी कोई 17 साल पहले दर्शकों के सामने रखी थी। अब ये दोनों एक्ट्रेसेस उनकी नई फिल्म ‘तुमको मेरी कसम’ में नजर आ रही हैं।

महेश भट्ट का नाम जुड़े तो अनुपम खेर की मौजूदगी स्वाभाविक ही है। लेकिन असली सवाल ये है कि क्या इस फिल्म का टाइटल इसकी कहानी को सही तरीके से पेश करता है? शायद नहीं! यह फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री और कोर्टरूम ड्रामा का दिलचस्प मेल है, लेकिन इसका नाम इसे एक रोमांटिक फिल्म का एहसास देता है। नतीजा? दर्शकों की उम्मीदें कुछ और, और स्क्रीन पर दिखाया गया कुछ और।

फिल्म ‘तुमको मेरी कसम’ उन उदाहरणों में से एक है, जो साबित करती हैं कि टाइटल चुनते समय सोची-समझी रणनीति बेहद जरूरी होती है। गलतफहमी पैदा करने वाले नाम से न सिर्फ फिल्म की मार्केटिंग कमजोर पड़ती है, बल्कि यह दर्शकों को भी भ्रमित कर सकता है। यही कारण है कि इस फिल्म की प्रस्तुति और उद्देश्य के बीच तालमेल नहीं बैठता।

दमदार कहानी, लेकिन कमजोर फिल्म

राजस्थान के डॉ. अजय मुर्डिया का नाम उन सभी लोगों के लिए जाना-पहचाना है, जो संतान सुख से वंचित रहे हैं और फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का सहारा लेने पर मजबूर हुए। महज पांच हजार रुपये से शुरू की गई उनकी फर्टिलिटी क्लीनिक, इंदिरा आईवीएफ, आज देशभर में प्रसिद्ध है। लेकिन क्या इस प्रेरणादायक सफर को परदे पर सही तरीके से उतारा गया? अफसोस, जवाब है—नहीं।

डॉ. मुर्डिया का संघर्ष सिर्फ एक मेडिकल सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि एक सामाजिक क्रांति भी है। उन्हें ‘सेक्स क्लीनिक’ चलाने के आरोपों से लेकर समाज के तानों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी लगन ने उन्हें सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। यह फिल्म उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने के बजाय एक ऐसे विवादास्पद मामले पर केंद्रित हो जाती है, जिसने उनकी छवि पर सवालिया निशान लगाए।

अगर यह फिल्म ‘पैडमैन’ या ‘रॉकेट्री’ जैसी होती, जो असल में किसी व्यक्ति के सामाजिक योगदान को उजागर करती, तो यह एक शानदार बायोपिक साबित हो सकती थी। लेकिन दुर्भाग्य से, इसमें वैज्ञानिक उपलब्धियों को चमत्कार के रूप में पेश करने की प्रवृत्ति दिखती है, जिससे इसका सार ही कमजोर हो जाता है।

महेश भट्ट की भागीदारी ने फिल्म को और भी अप्रभावी बना दिया है। उन्हें नई कहानियों को नई ऊर्जा देने की बजाय, पुराने फॉर्मूलों को नए निवेशकों के पैसों पर दोहराने का शौक रहा है। यही वजह है कि एक बेहतरीन विषय होने के बावजूद, फिल्म वह असर नहीं छोड़ती जो इसे छोड़ना चाहिए था।

अनुपम खेर की दोहराई हुई परफॉर्मेंस

फिल्म ‘तुमको मेरी कसम’ शायद अजय मुर्डिया के करीबी लोगों के लिए भी नहीं बनी, लेकिन आम दर्शकों के लिए बनाई गई हो, ऐसा भी महसूस नहीं होता। फिल्म की अधिकांश कहानी कोर्टरूम ड्रामा में उलझी हुई है, जिससे यह विषय की गंभीरता खो देती है।

अजय मुर्डिया के किरदार को परदे पर जीवंत करने के लिए अनुपम खेर को चुना गया, लेकिन उनके संघर्ष के युवा दिनों को दिखाने के लिए इश्वाक सिंह को लाया गया। इंदिरा मुर्डिया की भूमिका में अदा शर्मा हैं। यह तरीका अक्सर बायोपिक में कम असरदार साबित होता है, जब एक ही किरदार के लिए दो अलग-अलग कलाकार रखे जाते हैं। फिल्म अगर एक ही अभिनेता के जरिए अजय मुर्डिया के दोनों दौर को दिखाने का प्रयास करती—प्रोस्थेटिक्स और मेकअप के साथ—तो शायद इसका प्रभाव कहीं अधिक गहरा होता। ‘गुरु’ में अभिषेक बच्चन और ‘रॉकेट्री’ में आर. माधवन ने यह करके दिखाया है।

जहां तक अनुपम खेर की बात है, वह ऐसे गंभीर, अनुभवी किरदारों को इतनी बार निभा चुके हैं कि अब उनकी उम्दा एक्टिंग भी नई नहीं लगती। दर्शकों के लिए उनकी परफॉर्मेंस में कोई सरप्राइज नहीं बचा है। एक समय था जब उनका अभिनय स्क्रीन पर दमदार लगता था, लेकिन अब उनसे कुछ अलग और नया देखने की उम्मीद होने लगी है।

एशा देओल की नई पारी पर सबकी नज़र

फिल्म ‘तुमको मेरी कसम’ में डॉ. अजय मुर्डिया के संघर्षपूर्ण युवा दिनों को इश्वाक सिंह ने बखूबी निभाया है। लेकिन लगातार ऐतिहासिक और गंभीर किरदारों में नजर आने के कारण दर्शकों के लिए अब उनका काम एकसमान लगने लगा है। अभिनय अच्छा है, मगर सिनेमाघरों में दर्शकों को खींचने के लिए केवल परफॉर्मेंस नहीं, बल्कि ताजगी और सरप्राइज की भी जरूरत होती है, जो इस किरदार में कहीं गायब-सा लगता है।

अदा शर्मा की बात करें, तो ‘द केरल स्टोरी’ से जो क्रेडिबिलिटी उन्होंने हासिल की थी, उसे ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ और ‘सनफ्लॉवर’ में उन्होंने काफी हद तक गंवा दिया। उनके किरदारों में नयापन न होने की वजह से दर्शक अब उनसे कुछ अलग और चुनौतीपूर्ण करने की उम्मीद रखते हैं।

लेकिन अगर इस फिल्म में कोई सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है, तो वह एशा देओल हैं। वेब सीरीज ‘रुद्र’ के बाद उन्होंने एक और दमदार किरदार चुना है, जिसमें वह एक परिपक्व अभिनेत्री के रूप में नई चमक के साथ उभरती हैं। बढ़ती उम्र के साथ खुद को चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं में ढालना आसान नहीं होता, लेकिन एशा ने इसे बखूबी निभाया है।

सुशांत सिंह की उपस्थिति फिल्म में मजबूत है, और एशा के किरदार को और दमदार बनाने में उनका योगदान साफ नजर आता है। एशा ने अपने किरदार में जो आत्मविश्वास और गहराई दिखाई है, वह उनके करियर की नई दिशा का संकेत देती है।

थिएटर जाने से पहले सोचें, फिर करें फैसला

फिल्म ‘तुमको मेरी कसम’ कई कमजोरियों से घिरी हुई है, और यही वजह है कि इसका बॉक्स ऑफिस पर टिक पाना मुश्किल लग रहा है। अनुपम खेर की मौजूदगी इसकी ओटीटी वैल्यू तो जरूर बढ़ा सकती है, लेकिन थिएटर में दर्शकों को खींचने के लिए उनका स्टारडम अब उतना असरदार नहीं रहा। इश्वाक सिंह अपनी पहचान बना चुके हैं, मगर वह अभी भी ओटीटी स्पेस के अभिनेता ज्यादा लगते हैं।

अदा शर्मा और एशा देओल जैसे बड़े नाम इस फिल्म में हैं, लेकिन उनका स्क्रीन प्रेजेंस इतना दमदार नहीं कि सिर्फ उनके लिए दर्शक सिनेमाघरों तक खिंचे चले आएं। विक्रम भट्ट ने फिल्म को अपने ट्रेडमार्क सस्पेंस थ्रिलर फॉर्मूले में ढाल दिया है, जिससे कहानी में ओरिजिनलिटी की कमी साफ झलकती है। वह जबरदस्त ‘इंस्पायर्ड फिल्ममेकर’ हैं—मतलब, अगर उन्हें किसी हॉलीवुड फिल्म का भारतीय रीमेक बनाना हो, तो वह शानदार कर सकते हैं, लेकिन जब बात किसी नई और मौलिक कहानी की आती है, तो उनका क्रिएटिव बेताल जवाब दे जाता है।

फिल्म जरूरत से ज्यादा लंबी है और संपादन की दरकार साफ दिखती है। संगीत भी औसत है और यादगार ट्रैक्स की कमी महसूस होती है। कुल मिलाकर, यह एक बेहद साधारण हिंदी फिल्म है, जिसे थिएटर में देखने के लिए पैसा और समय खर्च करना घाटे का सौदा हो सकता है। ओटीटी पर भी इसे एक बार में देख पाना सब्र का इम्तिहान लेने जैसा होगा।

Ruchika

नमस्ते, मेरा नाम Ruchika है और मैं WebSeriesHub.com की संस्थापक हूं। मुझे वेब सीरीज और मूवीज का गहरा शौक है और मैं हमेशा नई फिल्मों और शो की जानकारी साझा करने के लिए तत्पर रहती हूं।

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